दोस्त की शादी, मेरी चाँदी

फिर उपर स्लॅप पर उनका हाथ नही पहोच रा था तो मुझे उतरने के लिए बोला. वो स्लॅप के पास खड़ी थी मे जान भुज कर उनके पीछे खड़ा होके उतरने लगा. ओर अपने खड़े लंड को उनकी गांद पे मलने लगा ओर अपना हाथ बॉक्सर को छूकर वापिस ले आता. मेरी रग़ाद से भाभी काफ़ी चुदसी हो गयी थी. ओर एक दो बार सीस्क्रिया ले चुकी थी.

तोड़ा रगड़ने के बाद मायने बोला भाभी नही उतार रहा है. उन्होने बोला उपर चाड़कर उतार दो. मैने बोला मुझे उस से क्या मिलेगा. वो थोड़ी देर चुप रही फिर मेरी तरफ एक दम टर्न कर गयी. जिस से मेरा लंड एकदम उसकी चुत से टकरा गया. ओर फिर भाभी ने अपने हाथ से मेरा लंड पकड़ लिया ओर बोली ऐसा इनाम के याद रखोगे.

तभी वाहा कोई आ गया मायने बॉक्स उतार दिए. फिर मे ओर भाभी अकेले मे बात नही कर पाए . पर जब भाभी जा रही थी तो मायने कहा आपका वादा रह गया. तो वो धीरे से बोली मेरे पीछे आओ ओर वाहा खड़ी औरतो से मे पेसाब करके आती हू कह कर बातरूम की तरफ गयी वाहा काफ़ी आदमी थे.

तो मे बातरूम तक साथ जेया कर रुक गया. वो अंदर चली गयी. मुझे बड़ा दुख हुआ ओर मे उदास वाहा से जा ही रहा था की. बातरूम का दरवाजा खुला ओर मैने पीछे मूड के देखा भाभी मेरी तरफ आ रही थी. ओर उन्होने चुपके से मेरी पॉकेट मे कुछ डाल दिया. ओर मेरी तरफ आँख मारी ओर चली गयी.

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उनके जाने के बाद मे बातरूम मे गया जेब मे रुमाल जैसा कुछ था. मैने निकाला देखा भाभी की बेनगनी कलर की पनटी थी जो चूत वाले हिस्से से काफ़ी गिल्ली हो रखी थी. मेरा लंड फूल के फटने को हो रा था.

मैने उस पनटी को सूँघा , ओर चॅटा, बड़ी खट्टी तीखी फ्रेगञाँसे थी. फिर मैने लंड पे रख के मूठ मारी. रात को मे सबसे छिपता हुआ भाभी के घर पहुचा. मैं भाभी के आने का इंतेजार करने लगा.

आयेज क्या हुआ उस शादी मे मायने ओर किसे चोदा, ओर भाभी को कैसे छोड़ा या काहु भाभी ने मुझे छोड़ा अगले पार्ट मे बटौगा अगर आपको ये कहानी पसंद आई तो, अपडेट अगले हफ्ते मिल जाएगा

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